जैन तीर्थों पर खतरा, शत्रुंजयतीर्थराज बचाओ, देरी न करो

0
102

Dated: Jul 2025

शत्रुंजय तीर्थराज बचाओ: जैन तीर्थों की पुकार

शत्रुंजय तीर्थराज बचाओ जैन समाज एक अल्पसंख्यक समुदाय है। संख्या बहुत कम है। समाज बंटा हुआ है।

हमारे साथ भी अन्याय हुआ है। बस तरीका अलग रहा। चुपचाप, बिना विरोध के तीर्थ छीने गए और हम देखते रहे।

हमने हिंसा का रास्ता कभी नहीं चुना। शांतिपूर्ण रहे। इसलिए बहुसंख्यक भी अन्याय करते समय बहुत चालाकी से चलते हैं।

हम आपस में लड़ते हैं। मुकदमे लड़ते हैं। इसलिए जब बाहरी संकट आता है, तब हम बिखरे रह जाते हैं।

तिरुपति, बद्रीनाथ और गिरनार जैसे तीर्थ धीरे-धीरे हमसे छिनते गए। हमने विरोध नहीं किया, सिर्फ सहन करते रहे।

आज भी पालीताणा, मंदारगिरी और शिखरजी संकट में हैं। सरकारें कुछ नहीं करतीं। राजनेता वोट बैंक के गुलाम हैं।

प्रश्न यह है—क्या समाधान नहीं है? है। पर हमें एक होना होगा। कठोर फैसले लेने होंगे। आत्मबल जगाना होगा।

दिगंबर, श्वेतांबर, तेरापंथ—सब एक मंच पर आएं। मतभेद भुलाएं। मंदिर के बाहर एकजुट हो जाएं। यही समय की मांग है।

अगर आज नहीं जागे, तो तीर्थ खत्म हो जाएंगे। भविष्य में हमें कुछ नहीं बचेगा। पछतावा भी काम नहीं आएगा।

दूसरे के तीर्थ पर अन्याय हो तो चुप न रहें। दिगंबर हो या श्वेतांबर, एक दूसरे के लिए खड़े हों।

माउंट आबू, मुछाला महावीर और राणकपुर पर संकट है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी सरकारें नजरअंदाज कर रही हैं।

अब हमें एक होना ही होगा। तीर्थों की रक्षा के लिए आंदोलन, एकजुटता और आवाज़ उठाना बहुत ज़रूरी हो गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here